पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच, बिहार शरीफ निवासी और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता मुनिर उर रहमान ने आज एक बयान जारी कर बीजेपी, राजद (RJD) और कांग्रेस तीनों दलों पर कड़ा प्रहार किया। रहमान ने आरोप लगाया कि इन दलों ने दशकों से मुस्लिम समाज को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन उनके अधिकार और वास्तविक प्रतिनिधित्व देने में पूरी तरह नाकाम रहे।
उन्होंने कहा,
“बीजेपी ने मुस्लिम समाज को केवल गुमराह किया है और उनकी भलाई के लिए कोई ठोस काम नहीं किया। वहीं, राजद ने बीजेपी का डर दिखाकर मुसलमानों को अपनी राजनीति का गुलाम बना लिया। अब वक्त आ गया है कि मुसलमान अपनी पहचान खुद बनाएं और अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ें।”
गुलाम राजनीति से आज़ादी की अपील
रहमान ने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे “गुलाम राजनीति” की मानसिकता से बाहर निकलकर जागरूकता और सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ें। उनका कहना है कि यह लड़ाई किसी एक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज को उचित हक और बराबरी का प्रतिनिधित्व दिलाने की है।
जनसंख्या बनाम प्रतिनिधित्व
आंकड़े पेश करते हुए रहमान ने बताया कि बिहार की कुल आबादी में मुस्लिम समाज की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत है। इस आधार पर विधानसभा में कम से कम 40 मुस्लिम विधायक होने चाहिए, जबकि वर्तमान में सभी दलों को मिलाकर केवल 19 विधायक ही मुस्लिम समुदाय से हैं।
उन्होंने ऐलान किया,
“अगर हमें सत्ता में आने का अवसर मिला, तो हम मुस्लिम समाज को उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देंगे और 40 टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को देंगे। यह हमारा वादा है।”
RJD और कांग्रेस पर गंभीर आरोप
रहमान ने राजद और कांग्रेस दोनों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इन पार्टियों ने हमेशा मुस्लिमों से वोट तो लिया, लेकिन बदले में उन्हें कभी उचित प्रतिनिधित्व या ठोस विकास योजनाएं नहीं दीं। उन्होंने पूछा,
“जब कांग्रेस और राजद का वोट बैंक सबसे मजबूत था, तब मुसलमानों के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?”
स्थानीय मुद्दों पर फोकस
बिहार शरीफ के रहने वाले रहमान ने अपने क्षेत्र की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि वे इन मुद्दों से भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने वादा किया कि अगर उन्हें प्रत्याशी बनने का अवसर मिला, तो बिहार शरीफ के विकास के लिए विशेष योजनाएं लागू की जाएंगी।
साथ ही, उन्होंने भाजपा विधायक डॉ. सुनील कुमार, जो पिछले 20 वर्षों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुस्लिम समाज के लिए अब तक कोई ठोस कार्य नहीं किया है।
भविष्य की दिशा
अपने संबोधन में रहमान ने स्पष्ट किया,
“हमारी लड़ाई केवल चुनावी जीत की नहीं है, बल्कि एक सशक्त और जागरूक मुस्लिम समाज की लड़ाई है। हमें मुसलमानों को यह एहसास कराना है कि वे खुद अपनी ताकत हैं और अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए सही कदम उठाना जरूरी है।”
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुनिर उर रहमान का यह बयान मुस्लिम समाज में नई राजनीतिक बहस को जन्म दे रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी रणनीति किस हद तक चुनावी समीकरणों को प्रभावित करती है और क्या वे मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में आकर्षित करने में सफल होते हैं।

