बरही प्रखंड अंतर्गत रानीचूवा के आंगनबाड़ी केंद्र में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे बतौर मुख्य अतिथि स्थानीय मुखिया रीता मुर्मू शामिल हुई। वहीं कार्यक्रम में उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए मुखिया रीता मुर्मू ने कहा की 2025 तक हमारा पंचायत टीबी मुक्त पंचायत होगा। वहीं टीबी के बारे में विशेष जानकारी देते हुए कहा की
टीबी के लक्षण
भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना। हलका बुखार रहना, हरारत रहना। खाँसी आती रहना, खाँसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खाँसी में खून आ जाना।
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गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना। गहरी साँस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि। महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकड़ना, आँखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं। पेट की टी.बी. में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं। टी.बी. न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खाँसी व छाती में दर्द होता है।
टी.बी. का उपचार
टी.बी. के उपचार की शुरुआत सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जाँच कर की जाती है। आजकल टी.बी. के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार बिना नागा 6 से 9 महीने तक चलता है। इस रोग की दवा लेने में अनियमितता बरतने पर, इसके बैक्टीरिया में दवाई के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इससे बैक्टीरियाओं पर फिर दवा का असर नहीं होता। यह स्थिति रोगी के लिए खतरनाक होती है। एंटीबायोटिक्स ज्यादा प्रकार की देने का कारण भी यही है कि जीवाणुओं में प्रतिरोध क्षमता पैदा न हो जाए।
उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिले, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहे। बच्चों को टी.बी. से बचने के लिए बी.सी.जी. का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। अब ये माना जाने लगा है कि बीसीजी के टीके की इसमें कोई भूमिका नहीं है। टीबी की रोकथाम के लिए मरीज के परिवारजनों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इन्फेक्शन बाकी सदस्यों को न लगे जैसे पत्नी, बच्चे व बुजुर्ग आदि। इसके लिए उन्हें आइसोनेक्स की गोली तीन माह तक दी जाती है।
मौके पर पिंकी देवी, खुशबू देवी, गायत्री कुमारी, पूजा कुमारी, जीरवा देवी, बबिता देवी, चिंतामन साव, संगीता देवी, सुंदरी देवी, महेंद्र कुमार, आशा कुमारी एवं ननकी देवी मुख्य रूप से मौजूद थे।