अभिनेत्री पाखी हेगड़े ने फिल्मों के साथ साथ अब समाजसेवा का कार्य भी शुरू कर दिया है । लम्बे समय से फ़िल्म जगत में एक अभिनेत्री के रूप में सफल रहने के बाद अब इस समाजसेवा के तहत उन्होंने महिला सशक्तिकरण को केंद्रबिंदु में रखकर अपना फाउंडेशन खड़ा किया है, जिसके तहत पाखी हेगड़े बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस की विभिन्न तकनीकों से प्रशिक्षित करना चाहती हैं । पाखी हेगड़े का मानना है कि बच्चियाँ खुद की सुरक्षा करने में स्वयं सक्षम हैं बस उन्हें सही तरीके से प्रशिक्षित करने भर की जरूरत है । पाखी ने गोरखपुर में आज प्रेस से बात करते हुए यही बताया कि उनका फाउंडेशन इसी दिशा में कार्य कर रहा है जिसके तहत वे ग्रामीण इलाकों में भी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए व उनके सशक्तिकरण के लिए बेहतरीन प्रयास किये जा रहे हैं ।
विशेष तौर पर युवतियों को सेल्फ डिफेंस के लिए प्रशिक्षित करना और विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इस सेल्फ डिफेंस को शामिल कराना भी मुख्य उद्देश्य है , ताकि बच्चियाँ अपने बचपन से ही सेल्फ डिफेंस की तकनीक सीख लें व अपनी सुरक्षा के लिए किसी अन्य पर आश्रित ना रहा करें ।
पाखी हेगड़े ने बताया कि केंद्र सरकार ने भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं जो काफी सराहनीय हैं लेकिन उन योजनाओं को उनके मूल रूप में भारत के ग्रामीण इलाकों तक सुगमतापूर्वक पहुंचाने में उनका फाउंडेशन कार्य कर रहा है । हमारे फाउंडेशन का यही उद्देश्य है कि महिला सशक्तिकरण को लेकर हम जितनी जागरूकता और प्रशिक्षण लोगों तक पहुंचा सकें वही हमारी उपलब्द्धि होगी ।
सेल्फ डिफेंस में वेन्जो तकनीक इसी ओर इशारा करती है । यह एक ऐसी तकनीक है कि यदि कोई आपके ऊपर हमला करता है तो इस तकनीक के जरिये आप उसको विफल करके फिर उसपर अटैक कर सकते हैं । इस तकनीक से प्रशिक्षित हो जाने के बाद लड़कियां अपनेआप को और अधिक सुरक्षित महसूस करेंगी । पाखी हेगड़े का फाउंडेशन नित प्रतिदिन इस दिशा में जमकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है । इस फाउंडेशन के द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रम से समय समय पर लोगों को अवगत कराया जाता रहेगा ।
पाखी हेगड़े इस सामाजिक कार्यों के साथ साथ लगातार अपने फिल्मी सफर को भी जारी रखी हुई हैं । अभी हाल फिलहाल में उन्होंने दो बड़ी फिल्मों की शूटिंग पूरी किया है और अभी भी उनके पास फिल्मों की लंबी कतार हैं, लेकिन पाखी बता रही थी कि अब वे कुछ चुनिंदा फिल्में ही करना चाहती हैं जिसमें वाक़ई करने के लिए कुछ हो, क्योंकि सिर्फ एक तरह की फिल्में करके टाइपकास्ट वे नहीं होना चाहती । उन्हें लाइफ में वेरिएशन के साथ साथ फिल्मों के चरित्रों में भी वेरिएशन चाहिए । यह जानकारी पीआरओ संजय भूषण पटियाला ने दिया ।