प्रमोद कुमार सिंह: सिमरिया प्रखंड अंतर्गत पुंडरा निवासी शहीद राजेश के परिजनों को 19 साल के बाद भी आर्थिक मदद और अन्य सुविधाएं नहीं मिली है। 20 दिसंबर 2002 को जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में आतंकवादियों से लोहा लेने के दौरान पुंडरा गांव निवासी शिवनारायण साव के बेटे राजेश साव वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
जिसके बाद शहीद को श्रद्धांजलि देने सरकार के कई मंत्री, विधायक और प्रशासनिक अधिकारी उनके पैतृक गांव पहुंचे थे। यहां परिजनों को ढाढ़स बंधाते हुए सहायता के लिए आश्वासनों की बाढ़ लगा दी थी। लेकिन सभी आश्वासन अबतक अधूरे के अधूरे पड़े हैं।
राजेश साव के शहादत के बाद सरकार ने उनके माता-पिता को 22 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। इतना ही नहीं सरकार की तरफ से पेट्रोल पंप, आश्रित को सैनिक में नौकरी और 5 एकड़ खेती योग्य जमीन देने का भी आश्वासन दिया गया था, लेकिन शहीद के परिजनों को अबतक 93 हजार की ही सहायता राशि मुहैया करवाई गई है। उसके बाद इस परिवार को आज तक कुछ नहीं मिला।
राजेश की शहादत के बाद जब उनके पार्थिव शरीर को गांव लाया गया था। उस समय पूरा गांव भारत माता की जय और राजेश साव अमर रहे के नारों से गुंज उठा था। कई मंत्रियों, सांसद और अन्य वीआईपी ने शहीद को श्रद्धांजलि दी थी, लेकिन उसके बाद भी शहीद राजेश के परिजनों को अबतक पूरा सम्मान नहीं मिल पाया है।
शहीद के लाचार माता-पिता ने कहा है कि घर की माली हालत ठीक नहीं रहने और सम्मान में हो रही देरी के कारण उनकी बहू शहीद राजेश की पत्नी ने भी दूसरी शादी कर ली थी। उनके जाने के बाद उनकी स्थिति और भी भयावह हो गई है। बता दे की उनके नाम से तेतर मोड स्थित पुंडरा गांव जाने वाली मार्ग में एक शहीद राजेश द्वार बनाए गए थे उसे भी 1 वर्ष पूर्व एक बड़ी गाड़ी के द्वारा धराशाही कर दिया गया।
इसके साथ ही डाडी चौक में एक स्मारक बनाई जा रही थी वह भी विवादों में लिपट कर रह गई है और आज तक स्मारक अधूरे पड़े हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि द्वार धारा सही होने के बाद समाजसेवियों पूर्व अनुमंडल पदाधिकारी दीपू कुमार से मुलाकात किए थे लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक द्वार का कोई काम प्रारंभ नहीं हुआ है।