Monday, December 23, 2024
Google search engine
HomeHindiपुरुषों और महिलाओं के बदलते परिवेश को दर्शाती 'आधे अधूरे' नाटक

पुरुषों और महिलाओं के बदलते परिवेश को दर्शाती ‘आधे अधूरे’ नाटक

जिन नाटकों का पूरे भारतवर्ष में सबसे ज्यादा मंचन किया गया है उन नाटकों में से एक नाटक है ‘आधे अधूरे’ जिसे लिखा है मोहन राकेश ने, अब तक अलग-अलग निर्देशकों ने इसे अपने अपने तरीके से मंचित किया है, लेकिन जब जब इसका मंचन किया गया इसकी प्रासंगिकता हर बार नजर आई, हाल ही में नाट्यकर्मी विजय कुमार ने अपने ग्रुप ‘मंच’ के तत्वाधान में इसका निर्देशन किया, जिसका मंचन 20 सितंबर को वर्ली के नेहरू सेंटर ऑडिटोरियम मुंबई में किया गया, इस दौरान दर्शकों ने इस नाटक को काफी सराहा, नाटक की कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार के इर्द गिर्द घूमती है, नाटक परिवार की आंतरिक कलह और उलझते रिश्तों के साथ-साथ समाज में स्त्री पुरुष के बीच बदलते परिवेश तथा एक दूसरे से दोनों की अपेक्षाओं को चित्र करता है, इस नाटक की कहानी महेंद्रनाथ और सावित्री के इर्द गिर्द घूमती है, जो इस नाटक के मुख्य पात्र हैं।

WhatsApp Image 2022 09 22 at 9.41.37 PM scaled

नाटक में सारे पुरुष पात्रों की भूमिकाएं विजय कुमार ने निभाई है, महेंद्र, सिंहानिया, जुनेजा और जगमोहन की भूमिका में लोगों ने उनको खूब सराहा, सावित्री की भूमिका में गीता त्यागी ने मानो जान ही डाल दी, बड़ी बेटी विन्नी की भूमिका जेबा अंजुम, छोटी बेटी की भूमिका वाणी शर्मा और बेटे अशोक की भूमिका में आशुतोष खरे खूब जंचे, वहीं नाटक को संगीत वापी भट्टाचार्य ने दिया ।

RELATED ARTICLES

Most Popular