रेटिंग: ⭐⭐⭐½ (3.5/5)
🎬 एक युवा निर्देशक का जुनूनी डेब्यू
हफ्ते की सबसे चर्चित फिल्म ‘मर्डरबाद’ सिर्फ एक थ्रिलर नहीं, बल्कि एक जुनूनी निर्देशक अर्नब चटर्जी की पहली लंबी छलांग है। खास बात यह है कि अर्नब ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पर महज़ 14 साल की उम्र में काम शुरू किया था और 18 की उम्र में फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली। फिल्म की शूटिंग राजस्थान और वेस्ट बंगाल की रियल लोकेशन्स पर हुई है, और यही असली लोकेशन फिल्म को एक रॉ और रियल लुक देती है।
दिल्ली के डिलाइट डायमंड सिनेमा में हुई मीडिया स्क्रीनिंग में क्रिटिक्स से मिलते हुए अर्नब खास तौर पर कोलकाता से आए—यह उनके पैशन को बखूबी दर्शाता है।
🧠 कहानी का सार: जब टूरिज्म ट्रिप बना टेरर ट्रैप
कहानी शुरू होती है जयपुर के एक होटल से, जहां देश-विदेश से आए टूरिस्टों का एक ग्रुप ठहरा हुआ है। एक लंदन की टूरिस्ट, एक गाइड और बस ड्राइवर इस ग्रुप का हिस्सा हैं। अचानक एक टूरिस्ट गायब हो जाती है, और होटल का शांत लेकिन डरावना माहौल धीरे-धीरे भेदने लगता है।
फिल्म की कहानी मर्डर, पोस्टमार्टम हाउस की सच्चाइयों और श्मशान की काली परछाइयों से होकर गुजरती है। जब पर्दे पर कहानी उस कुंठित युवक के सच तक पहुंचती है, तो दर्शक की रूह कांप उठती है।
🌀 थ्रिल, रोमांच और रियलिज़्म का कॉकटेल
फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा धीमा लगता है और चरित्र-निर्माण पर पकड़ ढीली दिखाई देती है, लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ती है और क्लाइमेक्स तक आते-आते यह एक घना, वीभत्स लेकिन मजबूती से बुना हुआ थ्रिलर बन जाती है।
अर्नब ने बुजुर्ग कलाकारों (अंजन श्रीवास्तव, अमोल गुप्ते, मनीष चौधरी) से लेकर न्यूकमर्स तक सभी से बेहतरीन परफॉर्मेंस निकाली है। नकुल रोशन सहदेव और कनिका कपूर की जोड़ी स्क्रीन पर अच्छी लगती है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में खुद को जमाने के लिए उन्हें अभी और मेहनत करनी होगी।
🎭 परफॉर्मेंस और तकनीकी पक्ष
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शाकिर हाशमी और मसूद अख्तर अपने किरदारों में जान डालते हैं।
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सलोनी बत्रा का रोल सीमित है लेकिन असरदार है।
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बैकग्राउंड स्कोर, खासकर क्लाइमेक्स के बांग्ला टोन में, फिल्म को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है।
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सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग में कुछ जगह काम और बेहतर हो सकता था, लेकिन लो-बजट फिल्म होते हुए भी तकनीकी तौर पर यह सराहनीय प्रयास है।
❌ कमजोरियां
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फिल्म का पहला हाफ थोड़ा खिंचा हुआ महसूस होता है।
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कुछ सीन ग्राफिक और डरावने हैं जो फैमिली ऑडियंस के लिए अनकंफर्टेबल हो सकते हैं।
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कुछ दर्शकों को फिल्म का डार्क टोन और स्लो बिल्डअप अखर सकता है।
✅ फिल्म क्यों देखें?
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थ्रिलर पसंद करने वालों के लिए ‘मर्डरबाद’ एक हटके अनुभव है।
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नए डायरेक्टर्स की इंडी फिल्में देखने का शौक है तो अर्नब चटर्जी का यह डेब्यू मिस न करें।
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रूटीन मसाला फिल्मों से अलग, रियल लोकेशन और सस्पेंस ड्रिवन प्लॉट आपको अंत तक बांधे रखेगा।
🔚 अंतिम फैसला
‘मर्डरबाद’ एक नई सोच, युवा दृष्टिकोण और मजबूत इरादों से बनी फिल्म है। यह उन फिल्मों में से है जो बताती हैं कि थ्रिलर सिर्फ बड़े बजट पर नहीं, सच्ची कहानी और पक्के इरादों से भी बन सकते हैं। हालांकि यह फिल्म हर किसी के लिए नहीं है, लेकिन जो लोग थ्रिल, रहस्य और साइकोलॉजिकल ट्विस्ट पसंद करते हैं—उनके लिए यह एक बेहतरीन वीकेंड पिक हो सकती है।

