Friday, November 22, 2024
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अभिनेत्री ज़ारा खान: फिल्मों के साथ समाजसेवा में भी अग्रणी भूमिका

फिल्म अभिनेत्री ज़ारा खान आजकल न केवल फिल्मों में बल्कि समाजसेवा में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं। उन्होंने हिंदी, मराठी, तमिल, और तेलुगु भाषाओं में फिल्में करने के साथ-साथ समाज के निचले तबके के बच्चों की मदद करने का अभियान जारी रखा है। हाल ही में, उन्होंने महाराष्ट्र के पालघर जिले के श्रीमती सुरेखा गार्डी स्वजन विद्यालय खैरे अंबिवली में लगभग 450 बच्चों को बैग और शिक्षण सामग्री वितरित की।

यह सरकारी विद्यालय है जहाँ ज़ारा खान ने स्कूल बैग और शिक्षण सामग्री का वितरण किया। ज़ारा खान ने अपना एक एनजीओ ‘मॉम फाउंडेशन’ के नाम से चला रखा है। इसी मॉम फाउंडेशन के सहयोग से वे समाज सेवा के कार्य करती हैं। वे इस फाउंडेशन के जरिए आदिवासी बच्चों, सरकारी और गैर सरकारी स्कूल के बच्चों, और अनाथ बच्चों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं।

मुंबई की निवासी ज़ारा खान अपने करियर के साथ-साथ समाज सेवा को भी उतना ही महत्व देती हैं और अपनी कमाई का एक हिस्सा समाज से उपेक्षित और गरीब बच्चों पर खर्च करती हैं। ज़ारा खान ने अब तक अपने मॉम फाउंडेशन के जरिये सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में पुस्तक, बैग, और भोजन उपलब्ध कराया है और यह सिलसिला निरंतर जारी रहेगा।

ज़ारा खान कहती हैं कि समाज सेवा करने के लिए करोड़पति होना जरूरी नहीं है, बस आपके मन में जज़्बा होना चाहिए और लोगों के प्रति संवेदनशीलता होनी चाहिए। 26 वर्षीय ज़ारा खान के मन में बचपन से ही ऐसा जज़्बा था। उन्होंने अपने आसपास की गरीबी देखी और तभी से यह ठान लिया था कि वे अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल करेंगी। ज़ारा मुंबई के सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों में गरीब और आदिवासी अनाथ बच्चों को मुफ्त में बैग, पुस्तक, पेन, और भोजन उपलब्ध कराती हैं।

ज़ारा खान अपने मॉम फाउंडेशन के सहयोग से आगामी 12 अगस्त को मुंबई के सुप्रसिद्ध कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल के सौजन्य से एक मुफ्त कैंसर जांच शिविर आयोजित करने जा रही हैं। इस शिविर में महिलाओं के स्तन कैंसर की मुफ्त में जांच की जाएगी और जिन महिलाओं में स्तन कैंसर की पुष्टि होगी, उनका इलाज भी मॉम फाउंडेशन के जरिये किया जाएगा, जिसमें रोगी को एक रुपया भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी। ज़ारा खान के इस क्रांतिकारी कदम की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। लोगों का मानना है कि ऐसा करना सबके बस की बात नहीं है, लेकिन ज़ारा खान ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर यह संभव कर दिखाया है।

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