Sunday, December 7, 2025
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NTPC की सहयोगी ऋतिक खनन कंपनी पर ग्रामीणों का आरोप: “शोषण, दबाव और अवैध कार्य जारी”

  • सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना, स्थानीय सांसद और भाजपा नेताओं ने जताई नाराज़गी
  • ग्रामीण बोले – “संविधान के नाम पर धूल झोंकी जा रही है”, अधिकारी को हटाने की उठी मांग

हजारीबाग | केरेडारी प्रखंड | झारखंड, सुनील कुमार ठाकुर: NTPC की सहयोगी ऋतिक खनन कंपनी पर चट्टीबरियातू गांव के ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी स्थानीय संसाधनों का दोहन कर रही है, और जब भी कोई विरोध होता है, तो पुलिस केस की धमकी दी जाती है।

हाल ही में गांव के ऐतिहासिक लातो आहर (बड़ा तालाब) की मेढ़ को काटने और तालाब से डील के जरिए पानी निकालने का मामला सामने आया। इस कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीणों ने एकजुट होकर विरोध किया।

सांसद मनीष जायसवाल पहुंचे स्थल पर, जताई कड़ी आपत्ति

विरोध की सूचना मिलते ही हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल स्वयं मौके पर पहुंचे और लातो आहर की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पाया कि ग्रामीणों की आपत्ति सही है।

फोन पर बात करते हुए उन्होंने NTPC कोल माइंस परियोजना प्रमुख सी.वी. नवीन को सख्त चेतावनी दी और कहा:

“कंपनी यदि जन भावना के खिलाफ कार्य करती है, तो एक संवेदनशील जनप्रतिनिधि के तौर पर मैं इसका हर स्तर पर विरोध करूंगा। कार्य समझौते और भाईचारे से होना चाहिए, न कि जबरदस्ती से।”

“विकास जरूरी है, पर जनता के हितों की अनदेखी नहीं” – भाजपा नेता महेंद्र सिंह

भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य महेंद्र सिंह और युवा नेता प्रकाश गुप्ता ने भी कंपनी की कार्यशैली की तीखी आलोचना की। महेंद्र सिंह ने कहा:

“यहां जो हो रहा है, वैसा बर्ताव तो अंग्रेजों के शासन में भी नहीं होता था। यदि ग्रामीण अपने अधिकार की बात करें तो उन पर पुलिस केस कर दिया जाता है। विकास जरूरी है, लेकिन जनता के अस्तित्व के बिना विकास किस काम का?”

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे

ग्रामीणों की चेतावनी: अधिकारी मनोज सिन्हा को हटाओ या होगा बड़ा आंदोलन

ग्रामीणों ने ऋतिक कंपनी के अधिकारी मनोज सिन्हा पर संवादहीनता और गैर-जवाबदेही का आरोप लगाया है। संवाददाता द्वारा संपर्क किए जाने पर सिन्हा ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।

NTPC की सहयोगी ऋतिक खनन कंपनी पर ग्रामीणों का आरोप: "शोषण, दबाव और अवैध कार्य जारी"

इस पर ग्रामीणों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“जो अधिकारी मीडिया को जवाब नहीं दे सकता, वह ग्रामीणों के साथ कितना अन्याय करता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर इन्हें जल्द नहीं हटाया गया, तो बड़ा उग्र आंदोलन होगा।”

निष्कर्ष

चट्टीबरियातू की घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विकास परियोजनाएं जन भावना और संवैधानिक अधिकारों को दरकिनार करके चलाई जा सकती हैं? जब जनता के हितों और पर्यावरणीय संतुलन की अनदेखी होगी, तो सवाल तो उठेंगे ही।

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