Wednesday, December 25, 2024
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नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसायटी ने 10वां नेशनल थैलेसीमिया कन्वेंशन का किया आयोजन

नेशनल थैलेसीमिया वैलफेयर सोसाइटी ने कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल व अन्य अस्पतालों के बाल रोग विभाग के सहयोग से, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) के स्वर्ण जयंती ऑडिटोरियम में 10वां राष्ट्रीय थैलेसीमिया सम्मेलन आयोजित किया। कार्यक्रम में 1000 से अधिक चिकित्सकों, रोगियों व अन्य लोगों ने भाग लिया। सम्मेलन में नए अनुसंधानों व विकास से अवगत रहने पर जोर दिया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने किया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर और जनजातीय कार्य मंत्रालय में स्वास्थ्य सलाहकार श्रीमती विनीता श्रीवास्तव ने सम्मानित अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

भारत में थैलेसीमिया विरासत में मिला एक सबसे आम रक्त विकार है। देश की 4% जनसंख्या थैलेसीमिया की वाहक है और 10,000 से अधिक नए थैलेसीमिया मेजर हर साल जन्म लेते हैं। थैलेसीमिक बच्चों की जिंदगी बार-बार रक्त चढ़ाने और महंगी दवाओं पर निर्भर रहती है, जिसकी चिकित्सा लागत 50,000 से 2,00,000 रुपए सालाना होती है।

सम्मेलन का विषय था “2023 में देखभाल और इलाज”। हाल ही में स्थायी इलाज और आधान (ट्रांसफ्यूजन) मुक्त थैलेसीमिया की दिशा में कई डवलपमेंट हुए हैं। जीन थेरेपी ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं और कई रोगी स्थायी रूप से ठीक हो गए हैं। डॉ. संदीप सोनी, एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ पीडियाट्रिक्स, डिवीजन ऑफ एससीटी, यूसीएसएफ, सैन फ्रांसिस्को, सीए, यूएसए, जो खुद थैलेसीमिया में जीन थेरेपी में शामिल रहे हैं, ने इस नई थेरेपी के बारे में जानकारी दी।

इटली की डॉ. मारिया कैपेलिनी, जो नए मॉलीक्यूल और लुस्पैटरसेप्ट दवा के शोध में शामिल रही हैं, ने कहा कि लुस्पैटरसेप्ट रक्ताधान की आवश्यकता को 50 से 67% तक कम कर सकती है। थैलेसीमिया पीड़तों के जीवन को सुखद बनाने के अलावा, इससे न केवल बहुत सारा ब्लड बचेगा, बल्कि केलेशन थेरेपी के भारी खर्च से भी छुटकारा मिलेगा।

यूसीएमएस जीटीबी अस्पताल में बाल रोग विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, डॉ. सुनील गोम्बर ने कहा कि डीफ्रासिरॉक्स एफसीटी (फिल्म कोटेड टैबलेट) लेने में आसान है और घुलनशील गोली की तुलना में इसके दुष्प्रभाव भी कम हैं। थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन के कार्यकारी निदेशक, डॉ. एंड्रोउला एलेफ्थेरियोउ ने देश में थैलेसीमिया एडवोकेसी समूहों को सशक्त करने के टिप्स दिए।

रोगियों, माता-पिता, डॉक्टरों और शुभचिंतकों द्वारा 1991 में गठित नेशनल थैलेसीमिया वैलफेयर सोसाइटी इस रोग के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए समर्पित है। सोसायटी का प्राथमिक उद्देश्य बीमारी के उचित उपचार के लिए सुविधाएं जुटाना और नवीनतम विकास के बारे में परिवारों और डॉक्टरों को शिक्षित करना है।

नेशनल थैलेसीमिया वैलफेयर सोसाइटी के महासचिव डॉ. जे.एस. अरोड़ा ने मरीजों और डॉक्टरों को इस क्षेत्र में हो रहे नए विकास के बारे में जागरूक रहने को कहा, ताकि थैलेसीमिया रोगी सामान्य जीवन जी सकें। उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री से आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया जिससे कि थैलेसीमिया रोगी आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के लाभ से वंचित न रह जाएं।

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