Tuesday, April 1, 2025
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महिला दिवस के मद्देनजर विशेष स्टोरी: महिला उद्योग संघ से जुड़ महिलाएं बन रही सशक्त

कई तरह के छोटे उद्योग-धंधे अपना कर महिलाएं आर्थिक रूप से बन रहीं सबल

पटना, 6 मार्च। बिहार सरकार के सार्थक प्रयासों से राज्य की महिलाएं स्वावलंबी, सशक्त और आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं। राज्य सरकार के अंतर्गत बिहार महिला उद्योग संघ से जुड़ी महिलायें इसकी उदहारण हैं। महिला उद्योग संघ से जुड़कर महिलाआयें हर क्षेत्र में सफल उद्यमी होकर पहचान बना रही हैं।

बिहार महिला उद्योग संघ से जुडी और ‘रिवाइवल फुटवियर’ की फाउंडर महिला उद्यमी सजिया कैसर जूतों का व्यापार करती हैं। साजिया बताती हैं कि बिज़नस एक जेंडर न्यूट्रल क्षेत्र है और जिसे समझते हुए बिहार सरकार ने महिलाओं के लिए नए रास्ते खोलें, इससे महिलाओं को बल मिल रहा है। साजिया कहती हैं कि शुरुआत में उन्हें व्यापारिक समझ, व्यापार को विस्तार देने के लिए कोई मार्गदर्शन नहीं मिल रहा था, मगर बिहार महिला उद्योग संघ से जुड़ कर वह अपने व्यापार को अधिक बल दे पा रहीं हैं। वह आगे बताती हैं कि उद्योग संघ से जुड़ी हजारों महिलाओं को सरकार ने बड़ा मंच दिया है, जिससे छोटे से लेकर बड़े काम तक को पहचान और सम्मान मिल रहा है। साजिया कहती हैं कि बिहार महिला उद्योग संघ एक तरह से राज्य की महिलाओं के उत्थान के क्षेत्र में काम कर रही है, इसके जरिये महिलाएं अपने हुनर को बाजार दे पाने में सफल हो रही हैं। वह कहती हैं कि नीतीश सरकार ने महिलाओं के काम और हुनर को काफी सराहा और प्रोत्साहित कर बाजार दिया है, जिससे राज्य की महिलायें बेझिझक होकर सफल उद्यमी के रूप में उभर रहीं हैं। बिहार महिला उद्योग संघ से जुड़कर कई महिलाओं ने सफल स्टार्ट अप को भी शुरू किया है।

महिला उद्योग संघ से जुड़ने के पहले साजिया के व्यापार का टर्नओवर शून्य था, इसके साथ ही नेटवर्किंग भी एक बड़ा मुद्दा था, मगर साल में आयोजित दो मेले से उनके व्यापार ने बाजार में पहचान बनाई। बीते दिन पटना में होली मेला का आयोजन किया गया जिसमें उनके व्यापार को लाखों रुपये का फायदा हुआ।

बिहार उद्योग संघ से जुड़ने के बाद महिलाओं के व्यापार में बड़ा टर्नओवर देखने मिल रहा है। उद्योग संघ के जरीए महिला उद्यमी ग्राहकों के अलावा अन्य व्यपारियों और अंतराष्ट्रीय बाजार से भी जुड़ रहीं हैं।

उद्योग संघ के साथ काम कर चुकी माला ‘शिल्प श्री प्राइवेट लिमिटेड’ को सफलता से चला रही हैं। वह बताती हैं कि महिला उद्योग संघ ने उनके व्यापार को गतिशील बनाया है। साल 2002 में माला ने शिल्पकला के क्षेत्र में व्यापार शुरू किया, जिसके बाद 2005 में वह बिहार महिला उद्योग संघ से जुड़ी और मेले के जरिये सरकारी-गैर सरकारीऔर व्यापारियों से मिली, इससे जुड़ने के बाद उनके अन्दर आत्मसम्मान में भी बढ़ोतरी हुई। माला बताती हैं कि शुरुआत में उनका टर्नओवर 10 लाख रुपये था जो अब बढ़कर 80-90 लाख रुपये हो गया है। इसके साथ ही वह अपने अन्दर 300 अन्य महिलाओं को रोजगार से जोड़कर सशक्त बना रहीं हैं, वह बताती हैं कि बिहार महिला संघ से जुड़ी हर एक महिला अपने साथ हजारों महिलाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रही है। माला ने फिलिपिन्स में आयोजित एक मेले में बिहार की शिल्पकलाओं ककी प्रदर्शनी लगाई थी। यह इन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की सफल कहानी की बानगी है।

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