कलाकंद के लिए रघु मिष्ठान पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध, 350 रुपये किलो है दाम
टाटीझरिया: कलाकंद का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, लार टपकने लगती है। यह मिष्ठान्न है ही ऐसा कि हर कोई इसका दीवाना है। हर क्षेत्र में किसी भी छोटी-बड़ी होटल पर और कुुछ मिले न मिले कलाकंद जरूर मिल जाता है। दूसरी मिठाइंयां जहां कुछ दिनों पुरानी हो सकती हैं वहीं कलाकंद प्राय: ताजा ही मिलता है क्योंकि इसकी खपत ही इतनी ज्यादा है कि होटलों में ये बचती ही नहीं है।
टाटीझरिया का गुलाब-जामुन तो सबको पता है ही। इसके साथ ही टाटीझरिया प्रखंड के झरपो का कलाकंद पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। चूंकि यहां कलाकंद की क्वालिटी भी बहुत अच्छी रहती है। रघु मिष्ठान भंडार का मिठाई का दुकान झरपो का बहुत पुराना दुकान है। यह दुकान कलाकंद के लिए बहुत फेमस है। पहले यह दुकान झरपो बुध बाजार में था जो अब स्थानांतरित हो चौरंगी-बैंक मोड पर आ गया है।
दुकान मालिक रघुनंदन प्रसाद एवं उषा देवी ने बताया कि कलाकंद उनके पूर्वजों के समय से ही बनते आ रहा है। उन्होने कहा कि कलाकंद का स्वाद आज भी बरकरार है। मुंह में रखते ही इसका मिठास घुल जाता है। समय के साथ अब इसका पैकिंग काफी अच्छा हो गया है, वाटर प्रूफ पैकिंग भी करते हैं जिससे लोगों को बाहर ले जाने में भी दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस समय कलाकंद बनना शुरू हुआ था उस समय कलाकंद मात्र 5 रूपये पीस मिला करता था। अब यह 10 रूपये की दर से बिक्री किया जा रहा है। कलाकंद 350 रूपये किलो के दाम से बेचा जा रहा है।
स्थानीय ग्राहक ज्योतिष पंडा, उपेंद्र पांडेय, सुरेंद्र राणा, सुरेश प्रसाद, संतोष कुमार, अजय कुमार, मुख्तार अंसारी, रामप्रसाद कुशवाहा, उमेश पांडेय, प्रबील प्रसाद कहते हैं कि कलाकंद मीडियम रेंज का मिठाई है जिससे कि इस मिठाई को हर वर्ग के लोग खरीद सकते हैं। यहां की कलाकंद की मिठास का स्वाद केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो, पूर्व सांसद रवींद्र राय, विधायक अमित कुमार यादव, पूर्व विधायक जानकी प्रसाद यादव से लेकर कई नेता व वरीय अधिकारी ले चुके हैं। झरपो आने पर ये कलाकंद खाना नहीं भूलते हैं।