बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा बौद्ध, जैन, सनातन, सिख और इस्लाम सहित सभी धर्मों की आस्था की भूमि रही है।इसकी ऐतिहासिक और पौराणिक पहचान है. नालंदा को ज्ञान की भूमि कहा जाता है।यहां विश्व की सबसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी मौज़ूद हैं. जहां दूसरे देशों से छात्र पढ़ने के लिए आते थे। भगवान बुद्ध और महावीर नालन्दा में ठहरे थे. माना जाता है कि भगवान महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति पावापुरी में की थी।
प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग 7वीं शताब्दी में नालंदा आए थे और करीब एक साल तक यहां ठहरे थे. भगवान बुद्ध ने यहां उपदेश दिया था. प्रसिद्ध बौद्ध सारिपुत्र का जन्म यहीं पर हुआ था. नालंदा जिले के राजगीर में कई गर्म पानी के झरने हैं, बैद्ध स्तूप है. ये एक ऐसा जिला है जहां सभी धर्मों की आस्था जुड़ी हुई है. ये वही जगह है जहां से दुनिया भर में शिक्षा का अलख जगा
इस बार भी नालंदा में बीजेपी व जनता दल यूनाइटेड के गठबंधन से जेडीयू के कौशलेंद्र पर भरोसा जताया और इंडिया गठबंधन से सीपीआई (M) से पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ के बीच टक्कर हैं नालंदा में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में 1जुन को चुनाव होंगे।
संदीप सौरभ की राजनीति की शुरुआत स्टूडेंट लाइफ से ही हुई है 2013 में जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रहे संदीप सौरव ने राजनीति के लिए 2017 में हिंदी में सहायक प्रोफेसर की नौकरी नहीं की थी। इसके पहले उन्होंने महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में पालीगंज से 2020 का विधानसभा चुनाव जीता था।
पटना के पास मनेर के रहने वाले सौरव ने 2009 में जेएनयू से स्नातकोत्तर और 2014 में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की थी. सौरव 2013 तक अखिल भारतीय छात्रसंघ के दो बार राष्ट्रीय सचिव रहे थे. वह एक ओबीसी परिवार से आते हैं. उनके पिता एक सीमांत किसान थे।
नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत समेत 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. यहां करीब 22 लाख वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुवाव में JDU के कौशलेन्द्र कुमार को 5 लाख 40 हजार 888 वोट मिले थे. जबकि महागठबंधन से ‘हम’ उम्मीदवार अशोक कुमार आजाद को 2 लाख 84 हजार 751 वोट मिले थे. बहुत आसानी से कौशलेन्द्र कुमार 2 लाख 56 हजार 137 वोटों से विजयी हुए थे।
नालंदा जिले में कुर्मी जाति के वोटर की संख्या ज्यादा है. यादव, पासवान, कोईरी और मुस्लिम यहां के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हालांकि इस बार यहां के युवा वोटर जात-पात नहीं विकास के नाम पर वोट करने की बात कह रहे है।