बड़कागांव: कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग झारखंड सरकार के राज्य चलत उद्यान विभाग योजना अंतर्गत टीआरसीएससी के तत्वधान में बड़कागांव प्रखंड के नयाटांड़ पंचायत भवन में पांच दिवसीय मशरूम/ खुखरी उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का समापन किया गया। शिविर समापन के अवसर पर सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र एवं मशरूम उत्पादन के लिए विधि संगत बताई गई बीज सहित एक-एक पोटली का भी वितरण किया गया।
प्रमाण पत्र एवं मशरूम उत्पादन पोटली का वितरण मुखिया अशोक महतो एवं पंचायत समिति सदस्य हेमंत महतो के हाथों की गई। प्रशिक्षण की शुरुआत 14 फरवरी को की गई थी जिसमें 34 प्रशिक्षुओं ने 5 दिनों तक प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम/खुखरी उत्पादन की विधि की जानकारी ली।
प्रशिक्षण का नेतृत्व बड़कागांव एवं केरेडारी प्रखंड के उद्यान मित्र सनीत कुमार महतो ने किया जबकि शिविर में प्रशिक्षक देवाशीष कुमार थे। प्रमाण पत्र वितरण समारोह को संबोधित करते हुए मुखिया अशोक महतो ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने एवं स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है इसी कड़ी के तहत गांव की महिलाओं को मशरूम/ खुखरी उत्पादन से जुड़ने के लिए उक्त प्रशिक्षण देने का कार्य किया गया है।
उद्यान मित्र सुनित कुमार महतो ने कहा कि कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा झारखंड के सभी प्रखंडों में चरणबद्ध तरीके से ग्रामीण महिलाओं को कई प्रकार की योजनाएं चलाकर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही है, जिसका अधिक से अधिक लाभ लेने की आवश्यकता है।
प्रशिक्षक देवाशीष कुमार ने 5 दिन के दौरान दिए गए प्रशिक्षण का सारांश बताते हुए कहा कि भारत में मुख्य सब्जी आलू है। जबकि विश्व के अधिकांश देशों में मुख्य सब्जी मशरूम है। आलू की सब्जी जमीन के बगैर नहीं हो सकता है। जबकि मशरूम की खेती घर के छत से लेकर कमरा, कोना, छज्जा या किसी भी स्थान पर किया जाता है। इसलिए भारत में भी मुख्य सब्जी के रूप में मशरूम को लाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार इस पर अधिकतर जोर दे रही है। यही कारण है कि मुख्य रूप से महिलाओं को इसका प्रशिक्षण देकर देश में मशरूम की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित की गई है, ताकि मुख्य सब्जी के अलावा महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ते हुए आत्मनिर्भरता बनाया जा सके।
विश्व में अब तक 3.50 लाख रुपए प्रति किलो की दर से मशरूम की बिक्री का रिकॉर्ड पहुंच चुका है। यही कारण है कि आज मशरूम की खेती पर पूरा विश्व की अग्रणी भूमिका होती जा रही है। प्रशिक्षण में 25-26 दिन से लेकर 10-10 दिन के अंतराल में 60 दिन तक मशरूम की खेती उत्पादन होने की प्रशिक्षण को विधि बताई गई। 5 दिन के शिविर में करुणा देवी, बबीता कुमारी, यशोदा देवी, पूनम देवी, रूबी देवी, आशा कुमारी, कुंवर महतो, संजू कुमारी, रेनू देवी, राखी देवी, रूबी देवी, मंजू देवी, मालती देवी, सविता नायक, किरण कुमारी, सहित अन्य महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।