चौपारण: प्रादेशिक वन प्रक्षेत्र द्वारा जप्त कीमती लकड़ी को जलावन दिखाकर ऑक्शन वाला मामला पूरे चौपारण में चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। सवालों के घेरे में है विभाग के पदाधिकारी। वन विभाग को लाखों राजस्व का नुकसान, कौन है असल जिम्मेवार। डीएफओ हजारीबाग के अनुसार अगर पाँच से अधिक लॉट रहता है तो उसका ऑक्शन उसी स्थल पर करना है जबकि कुल नौ लॉट में था लकड़ी फिर भी ऑक्शन चौपारण में न करवाकर इटखोरी में करवा दिया गया।
लकड़ी खरीदार मो. फहीम के अनुसार वो लकड़ी का बल्ली खरीदने आया था लेकिन उसे डिपो प्रभारी गोपाल सिन्हा ने जलावन लकड़ी खरीदारी के नाम पर मोटा व कीमती लकड़ियों का खरीदार बना दिया। उक्त बातो का खुलासा खुद मो. फहीम ने किया हालांकि डिपो प्रभारी ने डाँट के बाद मो. फहीम अपनी बातों से पलटने लगा। मो. फहीम ने अनुसार लकड़ी खरीदारी में डिपो प्रभारी गोपाल का राशि लगा हुआ है। इस संदर्भ में लघु वन पदार्थ निगम के पदाधिकारी हरि मोहन झा से पूछने पर उन्होंने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि हमलोगों का इस मामले से कोई लेना देना नही है। कहा हमलोगों को भी मामले की जानकारी हुई है गड़बड़ियों का छानबीन चल रहा है। आरोप प्रत्यारोप के बीच प्रादेशिक प्रक्षेत्र विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कौन लकड़ी जलावन है कौन कीमती है इसका रिपोर्ट डिपो प्रभारी द्वारा निगम को दिया जाता है। इसमे प्रादेशिक वन क्षेत्र का कोई लेना देना नही है।
डिपो प्रभारी गोपाल सिन्हा ने बताया कि लकड़ी का कीमत या लकड़ी का प्रकार विभागीय पदाधिकारी द्वारा तय किया जाता है इसमें हमारा कोई रोल नही है। जानकारी हो कि लघु वन पदार्थ निगम का कार्यालय हमेशा सुर्खियों में रहा है कुछ वर्ष पूर्व यहां के एक कर्मी को निगरानी ने रंगे हाथ पकड़ा था। बावजूद सुधार नही हो पा रहा है।