Friday, November 22, 2024
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झारखण्ड: बड़कागांव में 1890 से झूलन लगाने की शुरू हुई है परंपरा!

हजारीबाग (संजय सागर) : जन्माष्टमी का पर्व आज पूरे देश में मनाई जा रही है। बड़कागांव का राम-जानकी मंदिर एवं राधे-श्याम मंदिर आस्था का मुख्य केंद्र है। इन मंदिरों में सावन के साथ ही कृष्णा जन्माष्टमी की तैयारी होने लगती है। रक्षाबंधन के बाद से ही झूलन लगना शुरू हो जाता है।

बड़कागांव के राम जानकी मंदिर में झूलन लगाने की परंपरा लगभग 137 वर्ष पुरानी है। मंदिर के संस्थापक-पुजारी बाबा मेघनाथ दास उनकी पत्नी सुधनी देवी के नेतृत्व में सन् 1890 में झूलन लगाने की परंपरा शुरू हुई। उस दौरान बड़कागांव निवासी नेतलाल महतो, लंगर महतो, बिराज महतो व कुंजल रविदास ने इनका सहयोग किया था।

वर्तमान पुजारी चिंतामणि महतो के अनुसार राम-जानकी पंच मंदिर की स्थापना सन् 1885 में हुई थी। इससे पहले शिव मंदिर की स्थापना 1875 में हुई थी। बाबा मेघनदास के बाद लखपति भगत, रामलाल भगत एवं मुंगिया देवी के नेतृत्व में झूलन का आयोजन हुआ। मुंगिया देवी, तत्कालीन प्रमुख गुरुदयाल महतो, बालकृष्ण महतो, बालेश्वर महतो, धर्मचंद्र महतो के नेतृत्व में झूलन का आयोजन 2008 तक हुआ।

तत्कालीन मुखिया बालकृष्ण महतो, बालेश्वर महतो, धर्मचंद महतो, पडूम महतो, कैलाश राम, प्रभु दयाल महतो के नेतृत्व में झूलन का आयोजन 1998 तक हुआ।

सन् 2000 से पहले पुजारी चिंतामणि महतो, विशेश्वर महतो, शशि मेहता, लालमणि महतो, हरीनाथ राम के सहयोग से आज तक झूलन लगाया जा रहा है।

बड़कागांव प्रखंड का राधे-श्याम मंदिर की स्थापना सन् 1942 में झमन साव पोद्दार ने की थी। 1943 से कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पुजारी नंदकिशोर मिश्र के नेतृत्व में झूलन लगाना शुरू हुआ। यह आज तक सतीश मिश्र एवं अवधेश मिश्रा द्वारा झूलन लगाया जा रहा है। इसमें रधुनाथ प्रसाद सोनी, उमेश साव, राजू सोनी, राम लखन विश्वकर्मा, मुरली सोनी, प्रेम सोनी, मिथिलेश सोनी, शंभु चौरसिया, सांवर अग्रवाल के सहयोग से झूलन लगाया जाता है। देश में कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष पूजा सादगी से ही मनाई जाएगी।

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