- मकर संक्रांति पर हजारीबाग यूथ विंग का आयोजन, गौसेवा और कर्मियों के सम्मान का अनूठा संगम।
- संक्रांति पर गौसेवा और कर्मियों का सम्मान हमारी परंपरा है। यह समाज में सेवा और सहयोग का संदेश फैलाने का प्रयास है :– चंद्र प्रकाश जैन।
हजारीबाग। गौमाता की सेवा और भक्तिमय माहौल में हजारीबाग यूथ विंग ने कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी द्वारा संचालित हजारीबाग गौशाला में मकर संक्रांति पर्व को हर्षोल्लास और परंपरागत तरीके से मनाया। इस अवसर पर सबसे पहले गौमाता की सेवा की गई। भक्तिमय माहौल में सदस्यों ने गौशाला परिसर में गौसेवा में योगदान दिया। हर साल की तरह इस बार भी गौशाला के कर्मठ कर्मचारियों के बीच तिलकुट, चूड़ा, मोरी लड्डू और गुड़ से बने विभिन्न व्यंजनों का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन की माता सुधा रानी जैन उपस्थित रहीं। उनका स्वागत फूलों का गुलदस्ता भेंट कर किया गया। यह आयोजन कर्मचारियों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का अनूठा माध्यम बना। कर्मचारियों ने सामग्री प्राप्त कर खुशी व्यक्त की और संस्था के इस प्रयास की सराहना की।
संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मकर संक्रांति जैसे पवित्र पर्व को मनाने के साथ-साथ गौसेवा की भावना को प्रोत्साहित करना और समाज में इसका संदेश प्रसारित करना है। उन्होंने कहा कि गौमाता की सेवा और संरक्षण के लिए संस्था हर साल विशेष कार्यक्रम आयोजित करती है।
गौशाला के कर्मचारियों का कहना है कि यह आयोजन उनके योगदान को मान्यता देने का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर मिलने वाला यह सम्मान उनके उत्साह और मनोबल को बढ़ाता है।
संस्था के पदाधिकारियों ने गौसेवा और मानवता के महत्व को रेखांकित करते हुए समाज से अपील की अधिक से अधिक लोग गौसेवा और पारंपरिक त्योहारों के संरक्षण में भाग लें। यह आयोजन हजारीबाग यूथ विंग की सेवा भावना और सामाजिक उत्तरदायित्व का अद्भुत उदाहरण है।
इस अवसर पर सुधा रानी जैन संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन,सहसचिव डॉक्टर बी. वेंकटेश,कोषाध्यक्ष रितेश खण्डेलवाल, कार्यकारिणी सदस्य विकास तिवारी, शम्पा बाला,उदित तिवारी,प्रणीत जैन, सिद्धार्थ कुमार उर्फ सिद्धू, पन्ना लाल लुहाड़िया,शोभा लुहाड़िया,बीना छाबड़ा, निर्मल जैन,लता गंगवाल,राजू खण्डेलवाल,सागर खण्डेलवाल, इशिका खंडेलवाल, प्रदीप छाबड़ा समेत कई लोग उपस्थित रहे।
संस्था ने वचन दिया कि आने वाले वर्षों में भी ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को जागरूक करती रहेगी और परंपराओं को सजीव बनाए रखेगी।