- दादी भक्तों ने दादी की भजनों पर जमकर झूमा
- दादी भक्तों के द्वारा किया गया आतिशबाजी का आयोजन
हजारीबाग शहर के मालवीय मार्ग स्थित राणी रानी सती मंदिर परिसर में राणी सती दादी का भव्य विवाह उत्सव बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ। सर्वप्रथम सबसे पहले अग्रसेन भवन से भव्य बरात निकाली गई बारात के आगे आगे ढोल नगाड़े चल रहे थे तो वही पीछे कई दादी भक्त दादी की जयकारों की गूंज लगाते हुए अपने कदमों को आगे बढ़ा रहे थे। मंदिर परिसर पहुंचने के पश्चात दादी भक्तों के द्वारा आतिशबाजी की गई। वही दादी भक्तों ने दादी के भजनों पर जमकर झूमा। मंदिर परिसर पहुंचने के पश्चात भव्य बारात संपन्न हुई बारात में तनधन जी स्वरूप बालक बालिका मौजूद थे वही मंदिर परिसर में दादी स्वरूप बालक बालिका थी।
मंदिर के प्रधान पुजारी शशिकांत मिश्रा के द्वारा विधिवत पूजा अर्चना कराया गया जिसके बाद दादी का भव्य श्रृंगार किया गया। दादी भक्तों ने दादी नाम की जमकर गूंज लगाई। दादी के विवाह उत्सव के दौरान दादी जी की हॉजी, मुकलावा जैसे अनेकों कार्यक्रम को आयोजित की गई। जिसके पश्चात दादी की विवाह उत्सव का रस में प्रारंभ किया गया रस्म की समाप्ति के पश्चात दादी भक्तों ने तनधन जी, दादी जी से आशीष आशीर्वाद लिया।
जिसके पश्चात महिला मंडल की महिलाओं के द्वारा दादी को अनेकों सामान चढ़ाई गई। भव्य आरती के साथ ऐतिहासिक रूप से कार्यक्रम संपन्न हुआ सभी दादी भक्तों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया।
मौके पर दादी भक्तों ने बताया कि मां रानी सती दादी का जन्म कार्तिक शुक्ला नवमी मंगलवार को डोकवा ग्राम में सेठ गुरसामल मां गंगा देवी के घर में हुआ। इनका नाम नारायणी बाई रखा गया । यह बचपन में धार्मिक व सतियों वाला खेल खेलती थी। बड़ी होने पर सेठ ने उन्हें धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शस्त्र शिक्षा व घुड़सवारी की शिक्षा भी दिलाई थी। बचपन से ही इनमें दैविक शक्ती नजर आती थी। जिससे गांव के लोग आश्चर्य चकित थे ।
नारायणी बाई का विवाह हिसार राज्य के सेठ जालीराम जी के पुत्र तनधन दास के साथ मंगसीर नवमी को हुआ। शुक्रवार का कार्यक्रम ऐतिहासिक रूप से दादी की कृपा से संपन्न हुआ सफल करने में दादी पार्क का अहम योगदान रहा। मौके पर तमाम दादी भक्त मौजूद रहे।