Tuesday, December 24, 2024
Google search engine
HomeLatestहजारीबाग में मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने की गणगौर पूजा

हजारीबाग में मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने की गणगौर पूजा

हजारीबाग में मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने गणगौर पूजा पुरी धूम-धाम से मनाया आइए जानते हैं गणगौर पूजा का महत्व…

गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व को विवाहित महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी मनपसंद वर पाने की कामना से करती हैं। विवाहित महिलायें इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। इस दिन गणगौर माता को सजा-धजा कर पालने में बैठाकर विसर्जित किया जाता है।

hazaribagh news,gangaur puja,Gangaur Puja Preparation

गणगौर त्योहार चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। मुख्य रूप से इस पर्व को मारवाड़ी समुदाय के लोग मनाते हैं गणगौर पूजा होली के दिन से शुरू होकर 18 दिनों तक चलती है।

गणगौर पूजा करते वक्त महिलाओं के पास यह सामग्री रहती है जिसमें साफ पटरा, कलश, काली मिट्टी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, सुहाग की चीज़ें मेहंदी बिंदी, सिन्दूर, काजल, इत्र, शुद्ध घी एवं कई सामान शामिल होते हैं।

गणगौर पूजा की विधि सुहागिनें इस दिन दोपहर तक व्रत रखती हैं। पूजा के समय शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र अर्पित करती है माता पार्वती को सम्पूर्ण सुहाग की वस्तुएं चढ़ाती है चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प का इस्तेमाल करते हुए पूजा-अर्चना करती है इस दिन गणगौर माता को फल, पूड़ी, गेहूं चढ़ाये जाते हैं। दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से पहले गणगौर पर छीटें लगाए जाते हैं फिर महिलाएं उस जल को अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर छिड़क लेती है अंत में माता को भोग लगाकर गणगौर माता की कथा सुनती हैं।

होली से प्रारंभ गणगौर पूजा सोमवार को राजस्थानी विधि विधान से महिलाओं ने पूजा अर्चना कर गणगौर को विसर्जित किया

गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता है। जो सिन्दूर इस दिन माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, उसे महिलाएं अपनी मांग में भरती हैं।

इस दिन गणगौर माता को सजा-धजा कर विसर्जित किया जाता है। मान्यता है कि गौरीजी की स्थापना जहां होती है वह उनका मायका हो जाता है और जहां विसर्जन होता है वह ससुराल। शाम को शुभ मुहूर्त में गणगौर को पानी पिलाकर किसी तलाब में इनको विसर्जन किया जाता है। इस दिन अविवाहित लड़कियां और विवाहत स्त्रियां दो बार पूजन करती हैं। जिसमें पपड़ी या गुने रखे जाते हैं। गणगौर विसर्जित करने के बाद घर आकर गणगोर कि राजस्थानी गीत गाये जाते हैं।

रितेश खंडेलवाल की कलम से✍️

RELATED ARTICLES

Most Popular