Friday, September 20, 2024
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विधायक एवं अधिकारियों के उदासीनता के कारण 10 साल बाद भी नही हो पाया 45 लाख के लागत से बना बस पड़ाव का उद्घाटन, बरही चौक पर होती है चुंगी वसूली

बरही: हजारीबाग रोड में स्थित बरही बस पड़ाव आज भी चालू होने का बाट जोह रहा है। 10 साल पहले लगभग 10 लाख के लागत से बस पड़ाव का जीर्णोधार किया गया था। ताकि बस पड़ाव चालू किया जा सके। स्थानीय लोगो को रोजगार मिल सके। लेकिन विधायक एवं बरही के आला अधिकारियों के उदासीनता के कारण जीर्णोधार के 10 साल बाद भी इसे चालू कराने के प्रति किसी का ध्यान नही है। बस पड़ाव में वाहनों का ठहराव नही हो पाया है। या यूं कहे अभी तक बस स्टैंड चालू नही हो पाया है। बस पड़ाव आज भी वीरान है। जबकि बरही चौक के आस पास वर्षो से संचालित बरही का बस स्टैंड अब तक बरही चौक पर ही संचालित है। जिसके कारण बरही चौक पर हमेशा जाम और दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।

वही बस स्टैंड भी उद्घाटन का इंतजार करते करते पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। अब तो आलम यह है की लोग यहां कूड़ा कचरा फेंकना शुरू कर दिए है। जिससे आस पास के लोगो की परेशानी बढ़ने लगी है।

चौक पर जाम से निजात पाने के लिए बस स्टैंड का चालू होना अनिवार्य

करोड़ो के लागत से बनी तीन राजमार्गो को जोड़ने वाली संगम स्थल बरही चौक का सुंदरीकरण की सुंदरता भी प्रभावित होती है। अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। कई बार तो जाम अधिक होने के कारण एंबुलेंस को भी जगह नहीं मिल पाता है। जिससे जाम हटने का इंतजार एंबुलेंस चालक को भी करना पड़ता है। जबकि जाम से निजात पाने के लिए एक मात्र उपाय है बरही बस स्टैंड का चालू करना। निजी स्वार्थ के कारण ना तो स्थानीय प्रशासन न तो स्थानीय जन प्रतिनिधि न ही राजनीतिक दल से जुड़े नेतागण ही रुचि ले रहे है।

झाड़ियों में तब्दील हुआ पार्क, टूटे झूले बने निशानी

विधायक एवं अधिकारियों के उदासीनता के कारण 10 साल बाद भी नही हो पाया 45 लाख के लागत से बना बस पड़ाव का उद्घाटन, बरही चौक पर होती है चुंगी वसूली

बरही प्रखंड परिसर में स्थित डॉ ए. पी. जे अबुल कलाम पार्क का हाल बेहाल है। इस पार्क का उद्घाटन 10 मार्च 2017 को बरही के तत्कालीन विधायक मनोज कुमार यादव, एसडीओ शब्बीर अहमद, प्रमुख मंजू देवी ने संयुक्त रूप से किया था। इस पार्क का निर्माण लगभग 25 लाख के लागत से किया गया था, पार्क में बच्चो को झूलने के लिए झूले, बैठने के लिए शेड और पार्क की सुंदरता बढ़ाने के लिए एनटीपीसी के सौजन्य से वाटर फाउंटेन लगवाया गया था। जहां सैकड़ों लोग प्रत्येक दिन घूमने के लिए जाते थे परन्तु पांच साल बाद ही इस पार्क का हाल बेहाल हो गया। बुजुर्गो के टहलने और बच्चो के खेलने के लिए कभी लाखों रुपए की लागत से बनाए गए पार्क रखरखाव के आभाव ने अब झाड़ियों में तब्दील हो चुका है। बच्चों का झूला अब पार्क से गायब हो चुका है। वहीं राजनीतिक विकास के दावों की हवा निकालते हुए स्थानीय लोगो को मुंह चिढ़ाते हुए दिखाई देते है। अब ये पार्क संभ्रांत लोगो के घूमने के लिए नही बल्कि असामाजिक तत्वों के बैठने का डेरा बन चुका है।

नियमित साफ-सफाई नही होने से गंदगी का लगा अंबार, आस पास के लोग परेशान

विधायक एवं अधिकारियों के उदासीनता के कारण 10 साल बाद भी नही हो पाया 45 लाख के लागत से बना बस पड़ाव का उद्घाटन, बरही चौक पर होती है चुंगी वसूली

बरही का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग कार्यालय में इन दिनों गंदगी का अंबार लगा हुआ है। सरकार की और से लगातार स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। लोगो को अपने आस – पास साफ सफाई रखने के लिए जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है। स्वच्छता अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए भी खर्व किए जा रहे है। शहर से गांव तक के लोगो को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। बावजूद सरकार का यह अभियान दम तोड़ता दिख रहा है। लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाली पेयजल एवं स्वच्छता विभाग कार्यालय में इन दिनों गंदगी का अंबार लगा हुआ है। आस पास के लोगो में बताया की कचरा का नियमित सफाई नही होने के कारण आज पास के लोग बदबू से परेशान रहते है। जमा कचरों से मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है। जिससे भिन्न भिन्न प्रकार की बीमारियां फैलने की आशंका है।

करोड़ो की राशि से प्रखंड परिसर में बने पानी टंकी से ग्रामीणों को आज तक एक बूंद नहीं मिला पानी

विधायक एवं अधिकारियों के उदासीनता के कारण 10 साल बाद भी नही हो पाया 45 लाख के लागत से बना बस पड़ाव का उद्घाटन, बरही चौक पर होती है चुंगी वसूली

बरही वासियों को बड़ी सुविधा तब होती जब यहां पर बने पानी टंकी से पेयजलापूर्ति योजना को सुचारू रूप से जलाया जा सकता। लेकिन आज तक इसे चालू नही किया जा सका है। जो निश्चित तौर पर चिन्ता का विषय है। वर्तमान समय में यह पानी का टंकी शोभा बढ़ाने की वस्तु बनकर रह गई है। बात आज तक एक बूंद भी पानी की सप्लाई हो पाता तो लोग इसके स्वाद को अवश्य ही जान पाते किंतु समय के आगे सब कुछ बेकार साबित हो गया है। लोगो की आशाएं धरी की धरी रह गई है। ज्ञात हो की पानी टंकी लोगों की नई आशाएं लेकर आया था लेकिन लोगो का प्यास आज तलक इस जलमीनार से नही बुझ पाई है।

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