Friday, September 20, 2024
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मकर संक्रांति को लेकर बड़कागांव में बढ़ी चहल-पहल, चूड़ा, तिलकुट और गुड़ से पटा बाजार

अमित मालाकार, बड़कागांव : स्नान-दान का पर्व मकर संक्रांति यानी तिल सकरात शनिवार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। जैसे-जैसे इसका दिन करीब आ रहा है वैसे-वैसे बड़कागांव के चौक चौराहे व बाजारों में गुड़, तिल और तिलकुट की सोंधी खुशबू से गुलजार होता नजर आ रहा बाजार। हर ओर सड़क किनारे तिलकुट, लाई, चूड़ा,मुरही व तिल की दुकानें वा बाजारों में गुड़ सजने लगी हैं।

मकर संक्रांति आने में महज कुछ 3 दिन हीं दिन बाकी हैं परंतु लोग अभी से ही मकर संक्रांति के खरीदारी में जुट गए हैं। लेकिन अब इस बार करोना और महंगाई के बीच पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष कीमत कुछ तेज है। जिस पर तिलकुट की सोंधी खुशबू के साथ महंगाई ने सेंध लगा दी है। साथ ही लोगों में एक डर सा माहौल है कहीं कोविड-19 के कड़े निर्णय के बाद अगर लॉकडाउन लगा दी जाती है तो खरीदारी कर पाना भी मुश्किल हो सकता है।

मकर संक्रांति को लेकर क्या कहते हैं पुजारी

वहीं राधे कृष्ण मंदिर के पुजारी अवधेश मिश्रा ने बताया कि 14 जनवरी शुक्रवार को रात 8:49 पर मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे अगले दिन सुबह के उपरांत यानी 15 जनवरी दिन शनिवार को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा। जिसके बाद खिचड़ी पर्व का पुण्य काल होगा तथा खरमास समाप्त हो जाएगा। मकर संक्रांति पर तिल खाने और दान करने की परंपरा पूर्व से ही चली आ रही है। इस परंपरा को लेकर लोगों ने तिल और तिल की बनी चीजों की खरीदारी अभी से ही शुरू कर दी है। सबसे ज्यादा खरीदारी तिलकुट की हो रही है। मकर संक्रांति के दिन लोग पहले सुबह ही स्नान कर तिल का तिनका, तिलकुट को जलाकर उनकी सेक लेकर पूजा कर दही, चूड़ा और गुड़ के साथ तिलकुट का सेवन कर त्यौहार मनाते हैं।

मकर संक्रांति के सामग्री और उसके दाम

सीजन ट्रेडर्स के तिलकुट विक्रेता अमित मालाकार ने बताया कि चीनी की तिलकुट 140 से 240₹, गुड़ तिलकुट 240 से 260₹, खोआ तिलकुट 300 से 400₹,तिल का लड्डू 180 से 200₹ व गुड़ 55 से 60₹, प्रति किलो की दर से बेची जा रही है। वर्मा किराना स्टोर के मनीष सोनी ने बताया कि मोटा चूड़ा 30 से 35₹,बासमाती चूड़ा 80₹ व पत्ती चूड़ा 40 से 50 रुपए प्रति किलो बेची जा रही है। हालांकि मंगलवार को बेमौसम बारिश से लोग भयभीत हैं उन्हें डर है कि कहीं मकर संक्रांति के समय भी पानी ना बरसे नहीं तो लोगों की उम्मीदों पर भी कहीं पानी ना फिर जाए।

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