Chandwara News: प्रखंड के बडकी धमराय पंचायत में महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पहली बार धूम-धाम से मनाई गई। मौके पर मुख्य रूप से समाजसेवी सरयू प्रसाद वर्मा व धानेश्वर ठाकुर मौजूद थे।
अतिथियों ने फुले के छायाचित्र पर माला अर्पित किया। इस अवसर पर लोगो पर में अभुतपूर्व उत्साह देखा गया। मौके पर महात्मा फुले के जीवन की उपलब्धियों को याद करते हुए अतिथियों ने कहा कि महात्मा फुले समाज सुधारक के साथ-साथ एक प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी धरती पुत्र भी थे। उन्होंने कहा कि फुले ने अभिशप्त जाति के लिए सुधारात्मक कार्य किया। शिक्षा से वंचित लोगों में शिक्षा का अलख प्रज्वलित किया। उन्होंने बालिकाओं के लिए प्रथम स्कूल की स्थापना की। दलित व स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में दोनों पति-पत्नी ने मिलकर काम किया। वे एक कर्मठ और समाजसेवी की भावना रखने वाले व्यक्ति थे।
निर्धन तथा निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज’ की 1873 मे स्थापित की। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई। ज्योतिबा ने ब्राह्मण पुरोहित के बिना ही विवाह संस्कार आरम्भ कराया और इसे मुंबई उच्च न्यायालय से भी मान्यता मिली।
वे बाल विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं। गुलामगिरी, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोसला का पखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफियत।
महात्मा ज्योतिबा व उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने ‘एग्रीकल्चर एक्ट’ पास किया। धर्म, समाज और परम्पराओं के सत्य को सामने लाने हेतु उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी। मौके पर रूपलाल महतो, धनेश्वर ठाकुर, सुरेन्द्र महतो, सोनू मोदी, सरयू राम, दुला राम गणेश राम, इन्द्राशन राम आदि उपस्थित थे।