Saturday, November 23, 2024
Google search engine
HomeLatestभोजपुरी, मगही एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा का विरोध एवं 1932 के...

भोजपुरी, मगही एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा का विरोध एवं 1932 के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करने को लेकर जुलूस एवं विशाल जनसभा

विष्णुगढ़: भोजपुरी, मगही एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से बाहर करने एवं 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करने को लेकर मूलवासी आदिवासी संघर्ष समिति के बैनर तले शुक्रवार को जुलूस एवं जनसभा का आयोजन किया गया।

विष्णुगढ़ इंटर कॉलेज परिसर से निकली भव्य जुलूस में पारंपरिक हथियार, गाजे बाजे एवं बैनर तख्ती लिए बड़ी संख्या में महिला पुरूष एवं नौजवानों ने सरकार के विरोध में नारेबाजी कर विरोध जताया। प्रदर्शनकारी झारखंड में भोजपुरी, मगही नाय चलतो। 1932 के खतियान के लागू करे होतो। वीर शहीदो अमर रहे, बिनोद बिहारी महतो, टेकलाल महतो अमर रहे नारेबाजी करते हुए बिष्णुगढ की सड़कों पर प्रदर्शन किया।

WhatsApp Image 2022 02 11 at 6.39.02 PM

पूरे विष्णुगढ़ का भ्रमण करते हुए जुलूस रमुवां दुर्गा मंदिर प्रांगण में जनसभा में तब्दील हो गई। सभा में भाषायी आंदोलन के संस्थापक टाइगर जयराम महतो ने कहां कि मुंबई, गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्य अपनी भाषा के बदौलत ही विकास किया है।

झारखंड भी अपनी भाषा के बदौलत ही विकास करेगा। भाषा की लड़ाई झारखंडियों की अस्मिता की लड़ाई है। झारखंड के सभी नौकरियों पर झारखंड के लोगों का अधिकार है। यह मिलना चाहिए। कहा कि मुंबई, कोलकाता, तमिलनाडु आदि राज्य अपनी भाषा के बदौलत ही विकास किया है। झारखंड भी अपनी भाषा के बदौलत ही विकास करेगा। भाषा की लड़ाई झारखंडियों की अस्मिता की लड़ाई है। झारखंड के सभी नौकरियों पर झारखंड के लोगों का अधिकार है। यह मिलना चाहिए।

अध्यक्षता कर रहे जिप सदस्य जयप्रकाश पटेल ने कहा कि झारखंड आंदोलन की लड़ाई में हमलोगों ने विजय पा लिया। अब झारखंड के विकास के लिए एक और लड़ाई लड़ी जा रही है। यहां के रोजगार में स्थानीय लोगों को अधिकार सरकार को देना होगा।

झारखंड में भोजपुरी, मगही एवं अंगिका को कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा। अधिवक्ता सीबी पटेल ने कहा कि झारखंड में पहला हक यहां के मूलवासियों का है। 1932 का खतियान पर स्थानीयता नीति तय हो। उत्तम महतो ने कहा कि झारखंड का निर्माण भाषा, संस्कृति के आधार पर हुआ था। इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। गुरू प्रसाद साव ने कहा कि यह आंदोलन बाहरी लोगों के विरूद्ध नहीं बल्कि झारखंडियों के हक अधिकार के लिए सरकार से लड़ाई है।

तोपचांची से पहुंचे जयराम महतो ने कहा कि मुंबई, गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों ने अपनी भाषा के बदौलत विकास किया है। झारखंड भी अपनी भाषा के बदौलत विकास करेगा। भाषा की लड़ाई झारखंडियों की अस्मिता की लड़ाई है। वहीं प्रतिभा विकास मंच के केन्द्रीय अध्यक्ष महेन्द्र कुमार ने कहा कि बाहरी भाषा को लागू कर हमारी भाषा, संस्कृति और सभ्यता पर हमला किया जा रहा है। यह हमलोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। जब तक बाहरी भाषा को सरकार वापस नहीं लेती है, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। यह हमलोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रेमचंद महतो, टहल महतो, जगरनाथ महतो, हीरामन महतो, गुलाबशंकर महतो, सत्यनारायण महतो, कैलाश महतो, रूपेन्द्र महतो, रीना देवी, संतोष महतो, राजेन्द्र मंडल, सरयू साव समेत कई की अहम भूमिका रही।

RELATED ARTICLES

Most Popular