चौपारण: दुनिया में हर व्यक्ति के अंदर एक कलाकार छुपा होता हैं, जरूरत होती हैं उसे पहचानने की, कुछ लोग अपनी कला से अमिट छाप छोड़ जाते है तो कुछ लोग परिस्थिति के आगे हार मानकर अपनी कला का दम घोट देते है।
आज हम एक ऐसे कलाकार की बात करने जा रहे है जिन्होंने अपना बचपन, जवानी और अब बुढ़ापा भी उसी में कार्य मे समर्पित कर दिया। जी हां हम बात कर रहे है रामपुर निवासी सीताराम पंडित की जो 45 वर्षो से शिल्पकार बन कर मूर्तियों को आकार देने में लगे है।
सीताराम पंडित लगभग 61 वर्ष के हो गए है लेकिन माता का प्रतिमा बनाने का जुनून अभी तक कम नही हुआ है। आज बसंत पंचमी है और माता सरस्वती की प्रतिमा का पूजा किया जाता है। प्रत्येक वर्षो की भांति इस वर्ष भी सीताराम द्वारा बनाये मूर्तियों की मांग बहुत ज्यादा है। सीताराम ने बताया कि बचपन से ही हमे मूर्तिया बनाने का शौक था। दुर्गा पूजा के दौरान बंगाल के कलाकार मूर्ति बनाने रामपुर आया करते थे हमने उन्ही के साथ रहकर मूर्ति बनाने का हुनर सीखा। बाद में खुद से मूर्ति बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे हमने मेहनत किया और माता का आर्शीवाद बना रहा जिसका परिणाम है कि दिन प्रतिदिन हमारे द्वारा बनाये गए मूर्तियों का मांग बढ़ता ही गया।
मालूम हो कि सीताराम पंडित द्वारा बनाये गए मूर्तियों को चौपारण प्रखण्ड के रामपुर, डेबो, बसरिया, भगहर आदि पंचायतों के अलावे चंदवारा प्रखण्ड के कई स्कूलों, शैक्षणिक संस्थानों व गाँव मे माँग पर भेजा जाता है। सीताराम द्वारा मूर्ति निर्माण कार्य मे उनके बड़े बेटे बिनोद पांडेय, पोता व परिवार के अन्य सदस्य साथ देते है। सीताराम पंडित सरस्वती माता का प्रतिमा बनाने के अलावे दुर्गा पूजा में रामपुर, बसरिया, कांटी आदि स्थानों पर स्थापित होने वाले दुर्गा मां के प्रतिमा का निर्माण करते है।
सीताराम अपने बुढ़ापा जीवन में प्रवेश कर रहे है लेकिन उनका हौसला का भरमार है। प्रतिमा निर्माण कर सीताराम पंडित अपने परिवार का भरण पोषण करते है। सीताराम ने कहा जब तक शरीर में प्राण है तब-तक माता का प्रतिमा बनाता रहूँगा।