हजारीबाग: हजारीबाग बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के तानाशाही रवैये की वजह से उनके ही बार के सदस्यों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. धरना दे रहे अधिवक्ता मनमीत अकेला और अन्य अधिवक्ताओं का कहना है कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिना जी.बी. मीटिंग के ही राशि खर्च कर रहे है.
खर्च करने की सीमा से अधिक कर रहे खर्च
अधिवक्ताओं ने बताया कि हमलोग धरना पर इसलिए बैठे है की जब से ये कमिटी बनी है तब से मनमानी कर रही है और बिना जी.बी.मीटिंग के अपने मन से सब काम कर रही है, जी.बी.मीटिंग हर तीन महीने में एक बार बुलानी चाहिए, 300 अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर युक्त आवेदन देने के बावजूद इन्होने जी.बी. मीटिंग नहीं बुलाई, जिसके वजह से अधिवक्तागण अपनी बातें नहीं रख पा रहे है.
बिना जी.बी. मीटिंग किए और बगैर सदस्यों के अनुमति के ये खर्च पर खर्च किये जा रहे है जबकि ये करने के लिए मीटिंग में प्रस्ताव करना होता है, लेकिन ये लाखों-लाख खर्च कर रहे है जिसकी अनुमति इन्हें जी.बी. मीटिंग में लेनी होती है
माँगा आय-व्यय का रिपोर्ट
धरना दे रहे अधिवक्ताओं ने अध्यक्ष से मांग किया है कि पिछले वर्ष के आय-व्यय की ऑडिट कराकर इसे सार्वजानिक किया जाये. हर साल ऑडिट रिपोर्ट होती है लेकिन इन्होने अपने कार्यकाल का अभी तक ऑडिट रिपोर्ट साझा नहीं किया है.
अपने वोट बैंक वालों के लिए हमेशा रहते है मददगार
अधिवक्ताओं ने अध्यक्ष पर आरोप लगाया की ये अपने वोट बैंक वालों के लिए हमेशा मददगार रहते है, जो रेगुलर कोर्ट नहीं आते है जो इनको वोट देते है उनको त्योहार-भत्ता देते है, और जो इन्हें वोट नहीं देते है और जो कोर्ट में रेगुलर है उनका ‘त्योहार-भत्ता’ पानेवालों के सूची से नाम काट देते है. इस कमिटी ने किसी भी प्रकार का कोई मापदंड तय नहीं किया हुआ है.
इसके साथ-साथ इस वर्ष जिन अधिवक्ताओं को ‘त्योहार-भत्ता’ नहीं मिला उसका कारण स्पष्ट करते हुए बताया जाये की आखिर उन्होंने किस वजह से ऐसा किया? क्या इसके लिए सदस्यों से राय-मशवरा किया गया था?
ध्यान देनेवाली बात ये है कि इस ‘बार’ से वैसे भी सदस्य है जो सिर्फ ‘वोटिंग और त्योहारी भत्ता’ के लिए ही आते है. आखिर वैसे अधिवक्ताओं को अध्यक्ष किस आधार पर ये फायदा पंहुचा रहे है.
अधिवक्ताओं की मांग
अधिवक्ताओं ने अध्यक्ष से मांग किया है की जनरल मीटिंग को जल्द-से-जल्द बुलाया जाये ताकि सभी बार सदस्य अपनी बातों को वहां रख सके.
पूरी कमिटी की है जिम्मेदारी
धरना दे रहे अधिवक्ताओं ने पूरी कमिटी को इसके लिए ज़िम्मेदार बताया है और कमिटी का ही विरोध किया जा रहा है परन्तु इस कमिटी के सर्वेसर्वा अध्यक्ष है तो उनकी जिम्मेदार इस मामले में बनती है.
धरना में रंजीत यादव, ब्रजेश कुमार, महावीर साहू, दीपक चंद्रवंशी, नंदू बाबु, दयानंद, निलेश, योगी, मनीष, वेंकटेश्वर, महंत विजयानंद दास सहित अन्य अधिवक्तागण थे.
धरना दे रहे अधिवक्ताओं की मांगो को सुनने और धरना बंद करने के लिए अध्यक्ष ने अपनी तरफ से कोई पहल नहीं किया है.