Saturday, November 23, 2024
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IAS कैडर नियमों में संशोधन; विरोध में क्यों उतरे कई राज्य, फैसले से क्यों डरे स्टालिन और ममता, जानिए वजह

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों के कैडर नियमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव पर सबसे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपत्ति जताई थी। ममता के बाद अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन भी इस प्रस्ताव के विरोध में आ गए हैं। रविवार को उन्होंने इस बदलाव पर आपत्ति जताते हुए पीएम मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखा था. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी आईएएस कैडर के नियमों में संशोधन का विरोध करते हुए मोदी को पत्र लिखा है.

स्टालिन बोले-संघवाद की नींव हिलाने का फैसला

तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने ट्विटर पर लिखा कि मैंने आईएएस कैडर नियम (1954) में संशोधन का विरोध करते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा है। इसके साथ ही मैंने अन्य मुख्यमंत्रियों से इस फैसले पर अपने विचार व्यक्त करने का आग्रह किया है जो संघवाद की नींव को हिला देगा।

 

ममता ने लिखी दो चिट्ठियां, कहा- ध्वस्त हो जाएगा राज्यों का प्रशासन

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आईएएस कैडर में संशोधन को ‘कठोर’ करार दिया है। उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को दो पत्र लिखे हैं। इन सभी मुख्यमंत्रियों ने यह तर्क देने की कोशिश की है कि संशोधित नियम संघवाद को प्रभावित करते हैं और राज्य प्रशासन को तंग करेंगे।

राज्य इस संशोधन को लेकर चिंतित हैं

आईएएस संवर्ग नियम 1954 में नियम 6(1) को मई 1969 में जोड़ा गया था। इसके अनुसार केंद्र में राज्यों से आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाती है। इसके लिए राज्यों की सहमति जरूरी है। नए प्रस्ताव में केंद्र को किसी अधिकारी को प्रतिनियुक्ति पर लेने के लिए राज्यों की सहमति की जरूरत नहीं होगी। इससे अधिकारियों पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ेगा।

इसमें चार संशोधन किए गए हैं…

पहला संशोधन: यदि कोई राज्य सरकार एक निश्चित समय के भीतर किसी राज्य कैडर अधिकारी को केंद्र में पोस्टिंग में देरी करती है, तो अधिकारी को उस राज्य के कैडर से केंद्र सरकार द्वारा कार्यमुक्त किया जाएगा।

दूसरा संशोधन: केंद्र सरकार राज्य सरकारों के परामर्श से केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करेगी और राज्य ऐसे पात्र अधिकारियों के नाम भेजेगा।

तीसरा संशोधन: केंद्र और राज्य के बीच किसी भी असहमति के मामले में, यह केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और राज्य एक निश्चित समय के भीतर निर्णय को प्रभावी करेगा।

चौथा संशोधन: विशिष्ट परिस्थितियों में जहां केंद्र द्वारा जनहित में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है, राज्य सरकारें केंद्र के निर्णयों को निर्धारित समय के भीतर लागू करेंगी।

क्या हैं राज्यों की आपत्ति?

गृह मंत्रालय और डीओपीटी को अधिकारियों को नियुक्त करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। उनका कहना है कि अगर नए नियम लागू होते हैं तो केंद्र सरकार राज्यों के काम में दखल देगी और अधिकारियों के दबाव में काम करेगी. आरोप है कि अगर इसे लागू किया गया तो केंद्र सरकारें अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए उन्हें परेशान करेंगी.

पश्चिम बंगाल की आपत्ति सबसे पहले क्यों?

मई 2021 में पश्चिम बंगाल में यास का तूफान आया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में ही इस तूफान को लेकर समीक्षा बैठक की थी, लेकिन सीएम ममता बनर्जी और उनके मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय 30 मिनट देरी से पहुंचे. इस पर केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए थे। हालांकि ममता ने बंदोपाध्याय को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा। बाद में बंदोपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया और उसी दिन ममता को तीन साल के लिए निजी सलाहकार नियुक्त किया गया।

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