Friday, November 22, 2024
Google search engine
HomeLatestबिहार: ना हाथी है ना घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना...

बिहार: ना हाथी है ना घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना…

आरा: श्रेया म्यूजिक आर्ट के बैनर तले मशहूर बॉलीवुड गायक मुकेश और महान गीतकार शैलेंद्र की स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. उद्घाटन नेत्र सर्जन डॉ. दीपक कुमार, रेड क्रॉस सोसाइटी की सचिव डॉक्टर विभा कुमारी, गैर सरकारी संगठन दिशा एक प्रयास की सचिव डॉ. सुनीता कुमारी, गायक धर्मेंद्र, रमेश कुमार और गायिका सुनीता पांडेय ने संयुक्त रूप से मुकेश और शैलेंद्र की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप जलाकर किया.

कार्यक्रम में सर्वप्रथम कोरोना संक्रमण से असमय काल में समाने वाले लोगों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की गयी.

युवा कवि सिद्धार्थ वल्लभ ने शैलेंद्र  के रचना संस्कार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जलता है पंजाब कविता से सुर्खियों में आये शैलेंद्र को राज कपूर फिल्मों में लेकर आये. गीतकार के रूप में शैलेंद्र ने अपना पहला गाना राजकपूर की फिल्म बरसात के लिए ‘बरसात में तुमसे मिले हम सजन’ .के लिए लिखा.

उसके बाद तो करीब दो दशक तक शैलेंद्र लगातार गीत लिखते रहे. फिल्मों के अलावा शैलेंद्र इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य रहे हैं .

हिंदी साहित्य के प्रमुख विद्वान रामविलास शर्मा शैलेंद्र को क्रांतिकारी कविताओं के कवि मानते हैं, तो नामवर सिंह उनको पहला दलित कवि कहते हैं, जो लोकधर्मी भी है कलात्मक भी. दरअसल शैलेंद्र अग्रिम पंक्ति के गीतकार नहीं थे. लोकगीतों की तरह आज भी उनके गीत गुनगुनाये जाते हैं. गांव घर की बुजुर्ग महिलाएं जिन्होंने कभी फिल्म नहीं देखी वो भी कहते मिल जाती हैं कि ना हाथी है ना घोड़ा है कहां पैदल ही जाना है.

वहीं, कार्यक्रम के संचालक और संस्कृतिकर्मी शमशाद प्रेम ने गायक मुकेश के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुकेश ने अपने मधुर गीतों और अपनी सुरीली आवाज से फिल्म संगीत में एक खास पहचान बनायी, अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करनेवाले मुकेश आज भले हमारे बीच नहीं है, लेकिन आज भी उनके चाहनेवालों और गीतों को सुनने व गानेवालों की एक बड़ी तादाद है.

राजकुमार ने जाने चले जाते हैं कहां … गीत गाकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इसके बाद रमेश कुमार, मो. फैजान, मो. मनव्वर अंसारी, धर्मेंद्र व धीरेंद्र कुमार सिंह ने सजनवा बैरी हो गये हमार जैसे कई गीत गाये. वहीं, सीनियर बांसुरी वादक सुशील सिंह ने मुकेश के दो गीतों को बांसुरी के माध्यम से प्रस्तुत कर श्रोताओं को मनमुग्ध कर दिया.

RELATED ARTICLES

Most Popular